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Makhana farming

वैज्ञानिकों ने विकसित की मखाने की नई किस्म, इसकी बहुत सारी विशेषताएं हैं

वैज्ञानिकों ने विकसित की मखाने की नई किस्म, इसकी बहुत सारी विशेषताएं हैं

भारत के बिहार राज्य में मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा मखाने की नवीन किस्म सुपर सेलेक्शन वन विकसित कर दी है। इस किस्म में तापमान ज्यादा झेलने की सामर्थ है। साथ ही, उत्पादन ज्यादा होने की वजह से किसानों की आय में वृद्धि देखने को मिलेगी। भारत में किसान मक्का, गेहूं, धान की कृषि पारंपरिक तरीके से करते हैं। किसान इस प्रकार की कृषि करके अच्छा मुनाफा कमाते हैं। हालाँकि, बहुत बार देखा गया है, कि किसानों को कीट, रोग, बाढ़, बारिश, सूखा इत्यादि प्राकृतिक आपदाएं हानि पहुँचाती हैं। इसके अतिरिक्त बहुत सारे किसान भाई ऐसे हैं, जो कि पारपंरिक खेती की अपेक्षा आधुनिक तकनीक एवं विधि से बेहतरीन आय अर्जित कर सकते हैं। वहीं, देश के वैज्ञानिक भी विभिन्न फसलों की ऐसी किस्म विकसित करने में लगे हुए हैं, जिनसे उत्पादन करके किसान बेहतर उत्पादन ले पाएं। फिलहाल, मखाने की भी ऐसी ही किस्म को विकसित कर दिया गया है।

बिहार में मखाने की नवीन किस्म इजात की गई है

मीडिया खबरों की मानें, तो
बिहार के मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा द्वारा मखाने की नवीन किस्म विकसित कर दी गई हैं। वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई इस किस्म का नाम सुपर सेलेक्शन वन रखा गया है। इस किस्म को विकसित करने के लिए वैज्ञानिक 7 वर्ष से जुटे हुए थे। फलस्वरूप कृषि वैज्ञानिकों ने इसमें सफलता हांसिल कर ली है। वैज्ञानिकों को यह आशा है, कि नवीन किस्म से किसान भाई बेहतरीन उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

इस किस्म में काफी विशेषताएं हैं

वैज्ञानिकों का कहना है, नवीन मखाने की जो किस्म इजात हुई है। इसकी बहुत सारी विशेषताएँ हैं। ज्यादा तापमान की स्थिति में मखाना झुलस जाता था। परंतु, इस किस्म के अंदर अधिक तापमान वहन करने की क्षमता है। अब तक मखाने का उत्पादन प्राप्त करने हेतु बीज की ज्यादा रोपाई की जाती थी। परंतु, इस किस्म में 40 फीसद बीज कम रोपे जाएंगे। इसकी वजह से पैदावार की क्षमता में भी 25 फीसद की वृद्धि देखी जाएगी। साथ ही, मखाने की नवीन किस्म विटामिन, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में पाई जाती है। यह किस्म अन्य किस्मों की तुलना में अधिक प्रतिरोधक क्षमता रखती है।
ये भी देखें: मखाने की खेती करने पर मिल रही 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी : नए बीजों से हो रहा दोगुना उत्पादन

किसान इस किस्म से उत्पादन कर अच्छा खासा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं

खुशी की यह बात है, कि मखाने की नवीन किस्म सुपर सेलेक्शन वन का वैज्ञानिकों ने सफल परीक्षण कर लिया है। वैज्ञानिकों ने इस किस्म को कृषकों को उपयोग कराने के संदर्भ में भी सैद्धांतिक रूप पर भी सहमति निर्मित हुई है। खेतों में किसानों से इसका परीक्षण भी कराया गया है। अब विभागीय स्तर से स्वीकृत हेतु इसको भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र, पूर्वी क्षेत्र पटना पहुँचाया गया है। सारी चीजें सटीक रहीं तब किसान भाई भी अपने खेतों के अंदर भी इस किस्म की बिजाई कर पाएँगे।
जानें मखाने की खेती की विस्तृत जानकारी

जानें मखाने की खेती की विस्तृत जानकारी

बिहार राज्य में सर्वाधिक मखाने का उत्पादन होता है। बतादें, कि बिहार में 80 प्रतिशत मखाने का उत्पादन किया जाता है। मखाने की खेती करने के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सर्वाधिक अनुकूल मानी जाती है। साथ ही, मखाने का सेवन करने से स्वास्थ्य भी काफी अच्छा होता है। इससे शरीर में डायबिटीज से कोलेस्ट्रॉल जैसे रोगों को काबू में किया है। हड्डियों को मजबूत करने से लेकर वजन कम करने तक में यह बेहद सहायक साबित होता है। भारत के अकेले बिहार राज्य में मखाने की 80 फीसदी खेती की जाती है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बिहार की जलवायु मखाने की खेती के लिए सर्वाधिक अनुकूल होती है। इसके अतिरिक्त इसका उत्पादन मेघालय, उड़ीसा और असम में भी प्रचूर मात्रा में उत्पादन किया जाता है। आइये मखाने की खेती के तरीके के बारे में जानते हैं।

मखाने की खेती करने का सही तरीके

मिट्टी कैसी हो

मखाने का बेहतरीन उत्पादन करने के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सर्वाधिक अनुकूल मानी जाती है। तालाब, जलाशय एवं निचली भूमि पर जहां जल जमाव 4-6 फीट के करीब तक हो, वह स्थान मखाने का उत्पादन करने हेतु काफी अच्छी होती है।

बुवाई कैसे करें

मखाने का बीजारोपण करने के दौरान मखाने के बीजों को तालाब में छिड़का जाता है। वहीं, बीज डालने के 35 से 40 दिन उपरांत जल के अंदर यह उगना चालू हो जाता है। मात्र दो से ढ़ाई माह के मध्य ही इसके पौधे जल के तल पर दिखने लगते हैं। ये भी पढ़े: वैज्ञानिकों ने विकसित की मखाने की नई किस्म, इसकी बहुत सारी विशेषताएं हैं

रोपाई करने की क्या विधि हो

इस विधि के जरिए मखाने की खेती करने के लिए मखाने के स्वस्थ एवं नवजात पौधों की बुवाई मार्च से अप्रैल माह के मध्य किया जाता है। बुवाई के 2 माह उपरांत बैंगनी रंग के फूल पौधों पर दिखाई देने लगते हैं। साथ ही, 35 से 40 दिन बाद इसके फल पूर्णतय पक जाते हैं। वहीं, गूदेदार होकर के फटने भी लग जाते हैं।

नर्सरी कैसे तैयार की जाए

बतादें कि मखाना एक जलीय पौधा है। नर्सरी तैयार करने से पूर्व खेत की 2-3 बार गहरी तरह जुताई करनी चाहिए। साथ ही, पौधों के समुचित विकास के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश को एक अनुमानित मात्रा में मृदा में मिश्रित करें। खेत में 2 फीट ऊंचा बांध बना कर इसमें 1.5 फीट तक जल भर दें। दिसंबर माह में इसमें मखाने के बीज डाल कर छोड़ दें। यह पौधे मार्च माह के समापन तक बीजारोपण हेतु तैयार हो जाते हैं।

कटाई कब की जानी चाहिए

मखाने की कटाई सिंतबर एवं अक्टूबर के माह के मध्य की जाती है। तालाब के जल के नीचे बैठ मखाने की कटाई करी जाती है। बाकी बचे एक तिहाई बीजों को आगामी अंकुरित होने के लिए छोड़ दिया जाता है।
मखाना बीजों के उत्पादन के लिए सरकार दे रही है अनुदान, किसानों को मिलेगी मोटी रकम

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देश में मखाना एक मुख्य आहार है, जिसका उपयोग उपवास से लेकर खाना और मिठाई बनाने में बहुतायत से किया जाता है। मखाने की खेती देश के कई राज्यों में की जाती है, लेकिन बिहार इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। भारत में उत्पादित होने वाले मखाना का 80 से 90 फीसदी सिर्फ बिहार में उत्पादित किया जाता है। बिहार में ज्यादातर मखाना मिथिला में उगाया जाता है। यहां के मखाने की ख्याति देश विदेशों तक फैल चुकी है, इसलिए सरकार ने यहां के मखाने को जीआई टैग दिया है। चूंकि यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है इसलिए इसे सुपरफ़ूड के नाम से भी जाना जाता है। बिहार सरकार अब राज्य में उत्पादित होने वाले मखाने की क्वालिटी पर फोकस कर रही है। जिसके तहत मखाना अनुसंधान केंद्र बनाया गया है। साथ ही मखाना विकास की कई योजनाएं भी चलाई गई हैं, जिसके तहत मखाना उत्पादन करने वाले किसानों को कई तरह की सहूलियतें उपलब्ध कारवाई जाती हैं। अब बिहार की राज्य सरकार मखाना किसानों को इसके बीज उत्पादन के लिए 50 से 75 फीसदी तक की सब्सिडी मुहैया करवाती है। यह भी पढ़ें: मखाने की खेती करने पर मिल रही 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी : नए बीजों से हो रहा दोगुना उत्पादन बिहार के कृषि विभाग ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि मखाना विकास योजना के तहत मखाना के उच्च प्रजाति के बीजों का उत्पादन करने के लिए सरकार किसानों को सब्सिडी प्रदान करती है। सरकार ने अपनी गणना के अनुसार प्रति हेक्टेयर 97 हजार रुपये की लागत निर्धारित की है। जिस पर 75 फीसदी की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। जो अधिकतम 2,750 रुपये तक हो सकती है। इस हिसाब से एक हेक्टेयर में खेती करने के लिए किसान को मात्र 24,250 रुपये ही खर्च करने होंगे।

इन किस्मों के बीज उत्पादन पर देती है सरकार अनुदान

कृषि विभाग ने नोटिफिकेशन के माध्यम से बताया है कि बिहार सरकार की तरफ से मखाना की मुख्यतः 2 किस्मों पर अनुदान दिया जाता है। जिनमें साबौर मखाना-1 और स्वर्ण वैदेही प्रभेद को सम्मिलित किया गया है। इन दो किस्मों के जरिए ही राज्य सरकार प्रदेश में मखाने की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। योजना के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए किसान भाई अपने जिले के कृषि विभाग के ऑफिस में संपर्क कर सकते हैं। यह भी पढ़ें: वैज्ञानिकों ने विकसित की मखाने की नई किस्म, इसकी बहुत सारी विशेषताएं हैं

इस मौसम में होती है मखाने की खेती

बिहार में दो मौसम में मखाने की खेती की जाती है। साल में पहली बार में फसल मार्च अप्रैल में लगाते हैं, जिससे अगस्त-सितंबर तक मखाने का उत्पादन कर लिया जाता है। इसके बाद दूसरी बार फसल सितंबर-अक्टूबर में लगाते हैं जिसका उत्पादन फरवरी-मार्च में मिलता है। मखाने के बीजों के उत्पादन के बाद भी इसमें काफी काम होता है। इसके बीजों को तेज धूप में सुखाया जाता है, इसके बाद प्रोसेसिंग की जाती है और ग्रेडिंग की जाती है। सबसे अंत में मखाने को गर्म रेत में सेंककर छिलका हटा देते हैं। अगर एक मौसम की बात करें तो किसान भाई इस खेती से आराम से 5 लाख रुपये तक की आमदनी कर सकते हैं।
मखाने की खेती करने पर यह राज्य दे रहा है फ्री में ₹72000, जल्द करें आवेदन

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नमकीन हो या फिर व्रत का आहार या फिर आपको ड्राई फ्रूट से बने हुए कोई लड्डू बनाने हो,  कोई भी देश मखाने के बिना अधूरी रह जाती हैं. आज हम इसी से जुड़ी हुई एक खुशखबरी आपके लिए लेकर आए हैं. अगर आप बिहार के किसान हैं और मखाने की खेती करते हैं तो बिहार सरकार की तरफ से आपके लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी है. बिहार सरकार ने मखाने की खेती करने वाले किसानों के लिए एक योजना बनाई है जिसका नाम मखाना विकास योजना रखा गया है.  इस योजना के तहत मखाने की इकाई लगाने के लिए किसानों को लगभग 75% तक की सब्सिडी मुहैया करवाई जाएगी. इस योजना की सबसे खास बात यह है कि बिहार सरकार ने मखाना के बीच पर पर इकाई लागत लगभग 97,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तय की है और इस तय की गई राशि के ऊपर मखाना उगाने वाले किसानों को 75 फ़ीसदी सब्सिडी मिलेगी. सरल शब्दों में बात की जाए तो मखाना उगाने वाले किसानों को ₹72000 के लगभग पैसा अनुदान राशि में फ्री में दिया जाएगा. इसके अलावा किसान भाइयों के लिए एक और राय भी बिहार सरकार ने दी है कि यहां के किसान मखाना-1 एवं सवर्ण वैदेही प्रभेद का कमाल करते हुए अगर मखाने की खेती का उत्पादन करते हैं तो उनकी उत्पादकता में अच्छा-खासा इजाफा होने की संभावना है.

मखाने से बनने वाली खीर की जाती है बहुत ज्यादा पसंद

मखाने की फसल की ज्यादातर खेती भारत में बिहार राज्य में की जाती है. अगर आंकड़ों की बात की जाए तो पूरे विश्व भर का लगभग 80% मखाना अकेले बिहार राज्य के किसानों द्वारा उत्पादित किया जाता है. इसके अलावा मिथिलांचल में मखाने को जीआई टैग भी मिल चुका है जो इसकी कीमत को और बढ़ाता है. बिहार राज्य में अगर बात की जाए तो यहां के जले दरभंगा और मधुबनी में सबसे ज्यादा मखाने का उत्पादन किया जाता है. इसके अलावा अब बहुत से किसान चंपारण जिले में भी  मखाने की खेती करना शुरू कर चुके हैं. बिहार सरकार की योजना है कि मखाने के उत्पादन को पूरे बिहार राज्य में हरेक हिस्से में फैलाया जा सके और किसानों को इसकी खेती करने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित किया जाए. ये भी पढ़े: जानें मखाने की खेती की विस्तृत जानकारी

मखाने को मिल चुका है जी आई टैग

मखाना कितना ज्यादा पौष्टिक होता है इसके बारे में तो बताने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है.  यह फाइबर से भरपूर होता है और इसमें बहुत से औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. बहुत से लोग इसे स्नेक्स की तरह भी इस्तेमाल करते हैं और साथ ही बहुत सी जगह पर इसकी खीर बनाई जाती है जो बहुत ही लजीज होती है. इसके उत्पादन के आंकड़ों  के बारे में आई हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार राज्य के मधुबनी और दरभंगा जिले में पूरे भारत का 70% मखाना प्रोडक्शन किया जाता है और इन दोनों ही जिलों में लगभग 120,00 टन मखाने का उत्पादन होता है. पूरे देश में लगभग 15 हजार हेक्टेयर में मखाने की फार्मिंग हो रही है. इसके अलावा पिछले साल  ही  मखाने को जीआई टैग दिया गया है जिसकी वजह से यह विश्व भर में प्रचलित हो गया है.